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दादी, दादी दादी दे / मधुसूदन साहा
Kavita Kosh से
दादी, दादी, दादी दे
पीठी पर तों लादी दे।
बस्ता रोजे बढ़ले जाय
ऊपरे-ऊपर चढ़ले जाय
नैका-नैका पोथी सब
बच्चा सिनी पढ़ले जाय
देभैं पैंट पुरनका तेॅ
कुर्त्ता उज्जर खादी दे।
फुर्ती जरा देखैलोॅ कर
पहिनें जरा नहैलोॅ कर
मम्मी-डैडी बीजी छै
तोंही जरा पढ़ैलोॅ कर
सर्दी-खोंखी रोकै लेॅ
घी में भुनलोॅ आदी के।
दादी, दादी, दादी दे
पीठी पर तों लादी दे।