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दादी और कम्प्यूटर / मोहम्मद साजिद ख़ान
Kavita Kosh से
कम्प्यूटर ले दादी बैठीं
उसको लगीं चलाने,
कम्प्यूटर चालाक बहुत था
उनको लगा चिढ़ाने ।
दादी ने ‘की-बोर्ड’ उठाया
कम्प्यूटर चिल्लाया,
'विंडो' खोला तो ज़बान से
उनको ख़ूब चिढ़ाया ।
'माउस' लेकर ज्यों दादी ने
थोड़ा-सा खिसकाया,
बिलकुल असली चूहे जैसा
उसने रूप दिखाया ।
दादी ने जब‘क़लम’लिखा तो
'मलक'लिखा दिखलाया,
लख्खी मल की मूँछें लेकर
हाथी पर चिपकाया ।
ग़ुस्से में दादी चिल्लाईं
जैसे शेर दहाड़ा,
अच्छा अपना अ,आ,इ,ई
रटना रोज़ पहाड़ा ।