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दादी के बात / सुधीर कुमार 'प्रोग्रामर'

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नूनू-नूनू हिन्नें आबोॅ
बढ़ियां बाला गीत सुनाबोॅ
खाना खा तॅ खूब चिबाबोॅ
नूनू कॅे भी साथ पढ़ाबोॅ
याद करी के रोज सुनाबोॅ
सौसे जीवन मंगल गाबोॅ।

रगड़ी-रगड़ी तेल लगाबोॅ
फोड़ा-फुनसी दूर भगाबोॅ
लाहबै में नै आना-कानी
पहिनें ढारॉे गोड़ पॅ पानी
तब डारा तब कंधा ढारोॅ
यहें रकम ठंढ़ा कें मारोॅ।