भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दाम-नाम क्या / रामकृष्ण खद्दर
Kavita Kosh से
छै साल की छोकरी,
सिर पर रखे टोकरी।
नहीं बताती दाम है,
नहीं बताती नाम है,
दाम-नाम क्या पूछना,
हमें आम है चूसना!