बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: ईसुरी
दारौ आऔ देस सें, परौं धोर्रा आन,
हमने आदर दे करौ, तनक खवइया जान।
तनक खवइया जान, रोटियँन पैं धी धरकें,
छै छिटिया भरदार, दई दो बेला भरकें।
बाल मुकुन्दै लिखा, ईसुर पठओ उरानों,
तीन सेर खा गओ आन कें मनका दानों।
दारौ आऔ देस सें, परौं धोर्रा आन,
हमने आदर दे करौ, तनक खवइया जान।
तनक खवइया जान, रोटियँन पैं धी धरकें,
छै छिटिया भरदार, दई दो बेला भरकें।
बाल मुकुन्दै लिखा, ईसुर पठओ उरानों,
तीन सेर खा गओ आन कें मनका दानों।