भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दास बाबू की सास / हरजीत सिंह 'तुकतुक'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दास बाबू के ससुराल में एक चीज़ थी ख़ास।
यानि की उनकी सास।

जब उनकी नई नई शादी हुई।
तो उन्हें समझ नहीं आ रहा था।
कि उनकी सास,
क्यों उनपे एक्स्ट्रा प्यार दिखाती है।

सो दास बाबू ने पूछा,
सासू माँ, आप क्यों मुझ पे इतना प्यार लुटाती हैं।
क्यों बार बार मुझे, मेरा सोना, मेरा सोना बुलाती हैं।

वो बोलीं,
बेटा, क्योंकि तू मेरा सोना है, मलाई का दोना है।
ऐक्चूअली, तू मेरी बेटी का नया खिलौना है।