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दिखला के यही मंज़र बादल चला जाता है / बशीर बद्र
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दिखला के यही मंज़र बादल चला जाता है
पानी से मकानों पे कैसे लिखा जाता है
उस मोड़ पे हम दोनों कुछ देर बहुत रोये
जिस मोड़ से दुनिया को एक रास्ता जाता है
दोनों से चलो पूछें उसको कहीं देखा है
इक काफ़िला आता है इक काफ़िला जाता है
दुनिया में कहीं इनकी तालीम नहीं होती
दो चार किताबों को घर में पढ़ा जाता है