भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दिनचर्या / पद्मजा बाजपेयी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सूरज के उगते, ही झुककर प्रणाम करो,
माता-पिता वंदन से, दिन की शुरूआत करो,
पहले स्नान फिर, अच्छा जलपान करो,
भाई-बहिन-मित्रों से, मीठा व्यवहार करो,
गुरुजी के वचनो पर, पूरा विश्वास करो,
संध्या को खेलकूद और व्यायाम करो,
मंगल ही मंगल हो, ईश्वर का ध्यान करो।
मिल-जुल कर सारे अच्छे काम करो।