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दिन आता है, आकर गुजर जाता है / शिवशंकर मिश्र

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दिन आता है, आकर गुजर जाता है
सिन चढ़ता है, चढ़कर उतर जाता है
हाल ले-देकर इतना ही है मुख्तसर
आदमी पैदा होता है, मर जाता है