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दिन में गहन, गहन में दिन छै / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय

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दिन में गहन, गहन में दिन छै
सेजोॅ के नीचें साँपिन छै।

हर पल; जेना एक दशक रं
जिनगी लागै, झूठे-शक रं
कल तक तोरोॅ साथ जे सुन्दर
आज वही आगिन रं, छक रं
दुख जे दूर रहै, ऊ आगू
केन्होॅ लट्टू रं गिनगिन छै।

जग में तोरे साथ सुधामय
तोंही अक्षर, अर्थो आशय
संधि, द्वन्द्वो अव्यय तोंही
एकरा में केन्होॅ कोय संशय
मूर-सूद रं तोहें छेलौ
आबेॅ तेॅ बस रिन ही रिन छै।