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दिलनवाज़ / अब्दुल हमीद 'अदम'
Kavita Kosh से
सुना है लोग बड़े दिलनवाज़ होते है
मगर नसीब कहाँ कारसाज़ होते है
सुना है पीरे-मुगां से ये बारहा मैंने
छलक पड़े तो प्यालें भी साज़ होते है
किसी की ज़ुल्फ़ से वाबिस्तागी नहीं अच्छी
ये सिलसिले दिलेनादा दराज़ होते है
वो आईने के मुकाबिल हो जब खुदा बन कर
अदा-ओ-नाज़ सरापा नमाज़ होते है
'अदम' ख़ुलूस के बन्दों में एक खामी है
सितम ज़रीफ़ बड़े जल्दबाज़ होते है
दिलनवाज़ = दोस्त
कारसाज़ = काम करनेवाला
पीरे-मुगां = शराब देनेवाला बुज़ुर्ग
बारहा = बारबार
दराज़ = लंबे
मुकाबिल = सामने
ज़रीफ़ = चुटकुलेबाज़