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दिले-बेक़रार कि बात कर / सादिक़ रिज़वी

दिले-बेक़रार कि बात कर
शबे-इन्तेज़ार कि बात कर

किसी छोटी बात पे मत उलझ
ज़रा इफ्तिख़ार कि बात कर

तुझे नर्म लहजे का इल्म है
कभी संग-ओ-ख़ार कि बात कर

नहीं फूल जिसके नसीब में
मेरे उस मज़ार कि बात कर

जो गिराती दिल पे हैं बिजलियाँ
उसी बर्क़-ओ-बार कि बात कर

नहीं बज़्म में कोई बेवफा
तू वफ़ा शेआर कि बात कर

अरे 'सादिक़' आएँगे वो ज़रूर
न अब इन्तेशार कि बात कर