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दिल्लीनामा / गिरधर राठी
Kavita Kosh से
देखे चांद-सितारे देखे
तनहा-तनहा सारे देखे
साहिल और सहारे देखे
हसरत के गुब्बारे देखे
बुत मस्जिद गुरुद्वारे देखे
गुरबत के अंगारे देखे
तड़-तड़ टूटे ईमां देखे
रोज़ नए बंटवारे देखे
दौलत की दीवारें देखीं
ताकत के गलियारे देखे
शौक-ओ-अदब के चौबारों पर
रहजन रहबर सारे देखे
चौरासी का मरघट देखा
इकहत्तर सैयारे देखे
साहिब और मुसाहिब देखे
रह देखी रखवारे देखे
उसकी आंखों से जो देखा
राह पडे़ बेचारे देखे
अपनी तरफ़ उठी जो नज़रें
धुआँ-धुआँ नज़्ज़ारे देखे ।