दिल्ली अब भी दूर बहुत है
मन मेरा मजबूर बहुत है
दिन भर रहा बिछावन पर
फिर भी तन यह चूर बहुत है
किससे अपनी बात कहूँ
परवर यह मगरूर बहुत है
सच है अब वह बात नहीं पर
अबतक वह मशहूर बहुत है
माँ के पास सुकूँ पाता हूँ
माँ की दुआ में नूर बहुत है