Last modified on 30 जुलाई 2023, at 00:20

दिल्ली अब भी दूर बहुत है / सत्यम भारती

दिल्ली अब भी दूर बहुत है
मन मेरा मजबूर बहुत है

दिन भर रहा बिछावन पर
फिर भी तन यह चूर बहुत है

किससे अपनी बात कहूँ
परवर यह मगरूर बहुत है

सच है अब वह बात नहीं पर
अबतक वह मशहूर बहुत है

माँ के पास सुकूँ पाता हूँ
माँ की दुआ में नूर बहुत है