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दिल्ली के छोर पर एक गाँव / दिनेश कुमार शुक्ल
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घन घटा घेरते हैं गाते हैं
मोर अब भी छतों पे आते हैं
याने कि सृष्टि का सरगम
कम-से-कम इस जगह तो जारी है
लगेगी अगली कयामत में
यहीं नूह की नाव
इस जगह अब भी कज़ा पर हयात भारी है