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दिल्ली पहुँचेंगे कैसे? / प्रकाश मनु
Kavita Kosh से
बंदर मामा टिकट कटाकर
चढ़े रेलगाड़ी पर,
घूम आएँगे सारी दिल्ली
सोचा, खेल दिखाकर।
गाड़ी चल दी, खूब जोर से
खाती वह हिचकोले,
खूब डरे मन ही मन मामा
घबराकर यों बोले-
मारे यहीं गए तो दिल्ली
पहुँचेंगे हम कैसे?
खिड़की से झट कूद पड़े,
बच पाए जैसे-तैसे।