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दिल्ली में जहानाबाद – दो / अर्पण कुमार
Kavita Kosh से
जहानाबाद
को सत्ता है
अपने लहुलुहान वर्तमान को
जीते जी इतिहास के घूरे पर
चले जाने के लिए
जहानाबाद
अकेला नहीं है
विश्व के मानचित्र पर
वे जहानाबाद
कितने अच्छे हैं
जो अकेले हैं
अचर्चित हैं
स्थानीय हैं
टीवी पर नहीं दिखते
अखबार में नहीं आते
मैगजीन के कवर-स्टोरी नहीं बनते
जहानाबाद सिर्फ जहानाबाद रहता है।