भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दिल्ली - एक / अर्पण कुमार
Kavita Kosh से
					
										
					
					पिक्चर-पोस्टकार्ड पर 
रोशनी से जगमगाते 
शहर के 
कुछ अँधेरे हिस्से भी होते हैं 
हो सके अगर तो 
उजाले से निकल बाहर 
कभी उधर भी जाकर 
आओ ज़रा ।
 
	
	

