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दिल का जला होता तब रोशनी होती/ विनय प्रजापति 'नज़र'
Kavita Kosh से
लेखन वर्ष: २००३
दिल का जला होता तब रोशनी होती
मैं तो जला हूँ चश्मे-अश्कबारी का…
अब मेरी ख़ाक इक निहाँ दलदल है!
चश्मे-अश्कबारी= rain of tears, निहाँ= hidden, buried
दलदल= marsh, quagmire, ख़ाक= ash, dust