भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दिल की चुभन के साथ बहुत कुछ चला गया / जावेद क़मर
Kavita Kosh से
दिल की चुभन के साथ बहुत कुछ चला गया।
ज़ख़्म-ए-कुहन के साथ बहुत कुछ चला गया।
ख़्वाबों की मौत हो गई अरमान मर गये।
यानी कफ़न के साथ बहुत कुछ चला गया।
वो छत, मुडेर, लोन, दरीचों की रौनक़ें।
उस गुलबदन के साथ बहुत कुछ चला गया।
बज़्म-ए-सुख़न तो गर्म है इस वक़्त भी मगर।
जान-ए-सुख़न के साथ बहुत कुछ चला गया।
ज़ंजीर बेङियों की खनक बेबसी का दर्द।
दार-ओ-रसन के साथ बहुत कुछ चला गया।
जमुना का घाट गाय सख़ा बाँसुरी की धुन।
राधा, किशन के साथ बहुत कुछ चला गया।
आ तो गया हूँ होश में लेकिन 'क़मर' मिरा।
दीवानेपन के साथ बहुत कुछ चला गया।