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दिल की दूरी नापने में../रमा द्विवेदी

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ज्ञान और विज्ञान ने क्या-क्या तरीके खोज डाले?
पल भर में है सागर खंगाला, सौर-मंडल नाप डाले।
सातों समुन्दर की यह दूरी घंटों में है सिमट आयी,
पलक झपकते विश्व भर से चेतना कर बात आयी।

इस धरा की बात ही क्या? आसमां भी पास है अब,
अर्थ की यदि हो इज़ाजत चन्द्रमा भी साथ है अब।
कुडंली में जिसके भी मांगलिक दोष होगा,
जा बसेगा मंगल ग्रह में वो शान्त फिर हर दोष होगा।
 
कम्प्युटराइज्ड माइंड ने रहस्य कितने खोज डाले
हर समस्या का निदान दर-परत-दर खोल डाले।
हर क्षेत्र में हलचल मचा दी किन्तु है इक क्षेत्र बाकी,
दिल की दूरी नापने में असमर्थ है विज्ञान अब भी।

कोई नहीं है यंत्र ऐसा संवेदना को जो बढ़ाए,
जो भी हुआ ईजाद अब तक संवेदना को ही घटाए।
दिल की दूरी बढ़ रही इन्सानियत खतरे पड़ी है,
वर्षों तक भी साथ रहकर अनजानियत आड़े खड़ी है।

दिल की दूरी साथ रहकर भी नहीं घट सकी है
दूरियां इतनी बढ़ी संतान से भी न पट सकी है।
मां-बाप के बिखराव को ये मूक रहकर ही सहेंगे,
है कोई क्या यंत्र ऐसा इस दर्द को जो कम करे?