भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दिल की हालत का सितारों पे असर देखा है / रवि सिन्हा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दिल की हालत का सितारों पे असर देखा है
इन ख़लाओं में भी उजड़ा सा शहर देखा है

कौन महफ़ूज़ किसे फ़िक्र है बरबादी की
किस समन्दर ने मिरा रेत का घर देखा है

मेरे होने का शजर आप के आने का बहाव
बूद ने वक़्त के दरिया का सफ़र देखा है

एक दुनिया नयी ईजाद किये बैठा हूँ
एक दुनिया ने मुझे ख़ाना-बदर देखा है

रहनुमा कौन किसे राह दिखाये कोई
इस ज़माने में भटकते हैं ख़िज़र, देखा है

कौन धरती पे करे आज फ़रिश्तों की तलाश
आसमानों में भी मिट्टी का बशर देखा है

क्या तअ'ज्जुब कि ख़यालों से घिरा रहता हूँ
आप ने मेरे ठिकाने को अगर देखा है

कौन सुनता है गुज़िश्ता की कहानी गोया
मुझ शिकस्ता ने कभी फ़त्ह-ओ-ज़फ़र देखा है

शब्दार्थ
ख़लाओं – आसमानों (skies);
महफ़ूज़ – सुरक्षित (safe);
शजर – पेड़ (tree);
बूद – अस्तित्व (existence);
ख़ाना-बदर – बेघर (homeless);
ख़िज़र – एक पैग़म्बर जो राह दिखाने के लिये जाने जाते थे (a prophet who shows the way);
बशर – आदमी (man);
गुज़िश्ता – अतीत (past);
शिकस्ता – पराजित (defeated);
फ़त्ह-ओ-ज़फ़र – विजय और गौरव (victory and glory)