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दिल के कहने पर चल निकला / सदा अम्बालवी
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दिल के कहने पर चल निकला
मैं भी कितना पागल निकला
आँसू निकले काजल निकला
रोने से कब कुछ हल निकला
पोंछ सका बस अपने आँसू
कितना छोटा आँचल निकला
चूर हुआ पर झूठ न बोला
दर्पण मुझ सा अड़ियल निकला
दुश्मन के घर बूँदें बरसीं
मेरी छत से बादल निकला
क़त्ल हुई हर सूरत आख़िर
दिल मेरा इक मक़्तल निकला
बाहर से था ख़ार ‘सदा’ तू
अंदर फूल सा कोमल निकला