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दिल के शीशे में कोई चाँद चमकता ही रहा / गुलाब खंडेलवाल

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दिल के शीशे में कोई चाँद चमकता ही रहा
रात भर सुर तेरी पायल का झमकता ही रहा

यों तो उसने कभी कुछ भी न कहा मुँह से, मगर
प्यार का रंग उन आँखों से चमकता ही रहा

लाख कुम्हला गया दुनिया की हवा से तू, गुलाब!
एक मोती तेरे गालों पे दमकता ही रहा