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दिल के सारे राज़ खोने जा रहा हूँ / 'सज्जन' धर्मेन्द्र

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दिल के सारे राज़ खोने जा रहा हूँ।
मैं बड़ा बदनाम होने जा रहा हूँ।

एक तिनका याद का आकर गिरा है,
मयकदे में आँख धोने जा रहा हूँ।

भोर में मुझको डराकर ये जगा दें,
इसलिए सपने सँजोने जा रहा हूँ।

गुल खिलेंगे स्वर्ग में इनको बताकर,
झुग्गियों में ख़ार बोने जा रहा हूँ।

फिर पुकारा प्यार से मुझको किसी ने,
फिर किसी का बोझ ढोने जा रहा हूँ।