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दिल ख़ूब दुखाया है गुज़री हुई बातों नें / विनोद तिवारी
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दिल ख़ूब दुखाया है गुज़री हुई बातों ने
रातों को रुलाया है गुज़री हुई बातों ने
हम भूल नहीं पाए तुम भूल गए हमको
सब याद दिलाया है गुज़री हुई बातों ने
शोला है न चिनगारी,इक राख की ढेरी है
हमको यूँ जलाया है गुज़री हुई बातों ने
हम ही न रहे हैं हम तुम भी न रहे अब तुम
गुल कैसा खिलाया है गुज़री हुई बातों ने
जागे हैं सितारे भी हम भी नहीं सो पाए
रातों को जगाया है गुज़री हुई बातों ने