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दिल जो कुछ कम उदास है मेरा / सुभाष पाठक 'ज़िया'
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दिल जो कुछ कम उदास है मेरा
लगता है ग़म उदास है मेरा
ये न कह ग़म उदास है मेरा
कह कि हमदम उदास है मेरा
देखकर ज़ख़्मे दिल की गहराई
आज मरहम उदास है मेरा
आसमानो ज़मीं का ज़िक़्र ही क्या
सारा आलम उदास है मेरा
मुझको उम्मीद है हवाओं से
जब कि मौसम उदास है मेरा
ये घड़ी की दो घड़ी की बात नहीं
वक़्त पैहम उदास है मेरा
फिर उसी 'मैं'का बोलबाला है
फिर'ज़िया' हम उदास है मेरा