भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दिल तड़प-तड़प के कह रहा है आ भी जा / शैलेन्द्र
Kavita Kosh से
दिल तड़प तड़प के कह रहा है आ भी जा
तू हमसे आँख ना चुरा, तुझे कसम है आ भी जा (२)
तू नहीं तो ये बहार क्या बहार है
गुल नहीं खिले तो तेरा इन्तज़ार है - २
के तेरा इन्तज़ार है - २
दिल तड़प तड़प ...
दिल धड़क धड़क के दे रहा है ये सदा
तुम्हारी हो चुकीं हूँ मैं
तुम्हारे साथ हूँ सदा
तुमसे मेरी ज़िन्दगी का ये श्रृंगार है
जी रही हूँ मैं के मुझको तुमसे प्यार है - २
के मुझको तुमसे प्यार है - २
दिल तड़प तड़प के कह रहा है ...
मुस्कुराते प्यार का असर है हर कहीं
दिल कहां है हम किधर हैं कुछ खबर नहीं - २
किधर है कुछ खबर नहीं - २
दिल तड़प तड़प के कह रहा है ...