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दिल ना माने कभी तो क्या कीजे / देवी नांगरानी
Kavita Kosh से
दिल ना माने कभी तो क्या कीजे
दिल करे दिल्लगी तो क्या कीजे.
सारे ग़म मेरे आस पास रहे
रश्क़ करती ख़ुशी तो क्या कीजे.
अपनी परछाई से वो खाइफ़ था
ना समझ हो कोई तो क्या कीजे.
इन्तहा दर्द की न रास आई
करले वो ख़ुदकुशी तो क्या कीजे.
ख़ाक ही वो जिया है दुनियां में
जिसने जी भर न पी तो क्या कीजे.
फूल करते निबाह खारों से
मुस्कराये कली तो क्या कीजे.
ख़ुश बयान किस कदर हूँ मैं देवी
ख़ुश हो किस्मत मेरी तो क्या कीजे.