भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दिल ने एक एक दुःख सहा तनहा / मजीद 'अमज़द'
Kavita Kosh से
दिल ने एक एक दुःख सहा तनहा
अंजुमन अंजुमन रहा तनहा
ढलते सायों में तेरे कूचे से
कोई गुज़रा है बारहा, तनहा
तेरी आहट क़दम क़दम, और मैं
उस मईयत में भी रहा तनहा
कुहना यादों के बर्फ-ए-जारों से
एक आंसू बहा, बहा तनहा
डूबते साहिल के मोड़ पे दिल
इक खंडहर सा रहा सहा, तनहा
गूंजता रह गया खलाओं में
वक़्त का एक कहकहा, तनहा