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दिल ने एक एक दुःख सहा तनहा / मजीद 'अमज़द'

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दिल ने एक एक दुःख सहा तनहा
अंजुमन अंजुमन रहा तनहा

ढलते सायों में तेरे कूचे से
कोई गुज़रा है बारहा, तनहा

तेरी आहट क़दम क़दम, और मैं
उस मईयत में भी रहा तनहा

कुहना यादों के बर्फ-ए-जारों से
एक आंसू बहा, बहा तनहा

डूबते साहिल के मोड़ पे दिल
इक खंडहर सा रहा सहा, तनहा

गूंजता रह गया खलाओं में
वक़्त का एक कहकहा, तनहा