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दिल न माने कभी तो क्या कीजे / देवी नांगरानी

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दिल न माने कभी तो क्या कीजे
दिल करे दिल्लगी तो क्या कीजे

थे मेरे आस-पास सारे ग़म
रश्क करती खुशी तो क्या कीजे

अपनी परछाईं से वो ख़ाइफ था
ना-समझ हो कोई तो क्या कीजे

इन्तहा दर्द की न रास आई
वो करे ख़ुदकुशी तो क्या कीजे

खुशबयाँ किस कदर हूँ मैं अब भी
ये है ख़ुशकस्मती तो क्या कीजे

ग़मे-दुनिया की तर्जुमाँ ‘देवी’
है मेरी शाइरी तो क्या कीजे