भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दिल पे एक तरफ़ा क़यामत करना / परवीन शाकिर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दिल पे एक तरफ़ा क़यामत करना
मुस्कुराते हुए रुखसत करना

अच्छी आँखें जो मिली हैं उसको
कुछ तो लाजिम हुआ वहशत करना

जुर्म किसका था, सज़ा किसको मिली
अब किसी से ना मोहब्बत करना

घर का दरवाज़ा खुला रखा है
वक़्त मिल जाये तो ज़ह्मत करना