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दिल फसुर्दा है आंख भी नम है / ईश्वरदत्त अंजुम

 
दिल फसुर्दा है आंख भी नम है
ये बता दिल में कौनसा ग़म है

जैसे रोया हो रात भर कोई
दामने सुब्ह बे-तरह नम है

बुझने वाला है अब चरागे-उम्मीद
रोशनी इस में किस क़दर कम है

झेल सकता हूँ हर मुसीबत को
मेरे दम में अभी बहुत दम है

आंख रखता है वो उकाबी सी
लेकिन अपनी उसे ख़बर कम है

याद करता है क्या मुझे वो भी
जिसका मुझको ख़याल हर दम है

क्यों बुझा सा है दिल तिरा अंजुम
कौनसी बात पर तू पुर ग़म है