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दिल भारी है, बेहद भारी है / महेन्द्र भटनागर
Kavita Kosh से
दिल भारी है, बेहद भारी है;
पग-पग पर लाचारी है!
रो लें,
मन-ही-मन रो लें,
एकांत क्षणों में रो लें!
असह घुटन है, बड़ी थकन है!
हलके हो लें,
हाँ, कुछ हलके हो लें!
रुदन — मनुज का जनम-जनम का साथी है,
- स्वार्थी है,
- स्वार्थी है,
स्व-हित साधक है / संरक्षक है !
रो लें! / सारा कल्म्ष धो लें!
रोना — स्वाभाविक है, नैसर्गिक है!
रोना — जीवन का सच है,
- रक्षा-मंत्र कवच है!
- रक्षा-मंत्र कवच है!