भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दिल मिले दिल से फ़क़त इतना ज़रूरी है मियाँ / नीरज गोस्वामी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


दिल मिले दिल से फ़क़त इतना ज़रूरी है मियाँ
क्यूँ मिलाते फिर रहे हो प्यार में तुम राशियाँ

बारिशों का है तक़ाज़ा, सब तकल्‍लुफ़ छोड़कर
दें सदा बचपन को हम, फिर से करें अठखेलियाँ

घर तुम्हारा भी उड़ा कर साथ में ले जाएंगीं
मत अदावत की चलाओ, मुल्क में तुम आंधियाँ

किसलिए मगरूर इतने आप हैं, मत भूलिए
ख़ाक में इक दिन मिलेंगी आप जैसी हस्तियाँ

आ गए वो सैर को, गुलशन में नंगे पाँव जब
झुक गयीं लेने को बोसा, मोगरे की डालियाँ

खुशबुएँ लेकर हवाएं खुद ब् खुद आ जाएँगी
खोल कर देखो तो घर की बंद सारी खिड़कियाँ

झाँक लें इक बार पहले अपने अंदर भी अगर
फिर नहीं आयें नज़र शायद किसी में खामियां

चाहते हैं सब, मिले फ़ौरन सिला 'नीरज' यहाँ
डालता है कौन अब, दरिया में करके नेकियाँ