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दिल में इक दर्द का अहसास जगा देता है / ईश्वरदत्त अंजुम
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दिल में इक दर्द का अहसास जगा देता है
डूबती नज़रों से जब कोई दुआ देता है
दमे-नफ़रत से रहो दूर महब्बत सीखो
प्यार इंसान को इंसान बना देता है
जामे-मय कुछ तो मज़ा देता है यारो मुझको
शिद्दते-दर्द को थोड़ा सा घटा देता है
जब कभी हसरते-दीदार सताती है मुझे
अपने रुख़ से कोई पर्दे को हटा देता है
राह पा जा जाता है महबूब के दिल में वो शख्स
उस की हर बात पे जो फूल चढ़ा देता है
जो झुका देता है अज़ रहे-अक़ीदत सर को
अपनी अज़मत का वो ऐजाज़ दिखा देता है
जामे-वहदत उसे हो जाता है हासिल अंजुम
खुद को जज़्बात से ऊपर जो उठा देता है