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दिल में उसके डर बैठा है / अमन चाँदपुरी
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दिल में उसके डर बैठा है
इस कारण छुपकर बैठा है
ख़ुशियां फिर बदलीं मातम में
मौला तू किस घर बैठा है
ख़्वाब पुराने फिर आये क्या
चश्म किये क्यों तर बैठा है
रहम नहीं खाता है मुझपर
छाती पर ख़ंजर बैठा है
खाली है ख़ुद भीतर से जो
वो पैमाना भर बैठा है
लौट चलो फ़ौरन रास्ते में
गुण्डों का लश्कर बैठा है
जल्दी से ऐ चाँद निकल आ
आज 'अमन' छत पर बैठा है