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दिल में जो कोई बस जाता है / रविकांत अनमोल

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दिल में जो कोई बस जाता है
फिर और कहां कुछ भाता है

यां एक झलक वां एक झलक
ऐसे भी कोई तरसाता है?

जब जीवन से उकता जाऊँ
तब प्यार तिरा बहलाता है

मत पूछ गुज़रता है कैसे
गो वक्त गुज़र तॊ जाता है

तू आँख से ओझल हो जाए
तो मन दीपक जल जाता है