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दिल में हर वक़्त बेक़रारी है / तुम्हारे लिए, बस / मधुप मोहता

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दिल में हर वक़्त बेक़रारी है
याद आती सदा तुम्हारी है,

हम तो जीते हैं रोज़ मर-मर के
और सफ़र ज़िंदगी का जारी है,

रोग जाता नहीं मेरे दिल का
इश्क़ का दर्द दिल पे भारी है,

अब जिधर देखिए ज़माने में
हर तरफ़ कितनी मारा-मारी है,

मुझसे मत पूछना कभी यारों
किस तरह ज़िंदगी गुज़ारी है।