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दिल लोचे तखत हज़ारे नूँ / बुल्ले शाह
Kavita Kosh से
मैं क्यों कर जावाँ काअबे नूँ?
दिल लोचे तखत हज़ारे नूँ।
लोकी सज्जदा काअबे नूँ करदे,
साडा सज्जदा यार प्यारे नूँ।
दिल लोचे तखत हज़ारे नूँ।
अउगुण<ref>अवगुण</ref> वेख ना भुल्ल मीआँ राँझा,
याद करीं ऐस कारे नूँ।
दिल लोचे तखत हज़ारे नूँ।
मैं अनतारू तरन ना जाणा,
शरम पई तुध तारे नूँ।
दिल लोचे तखत हज़ारे नूँ।
तेरा सानी कोई नहीं मिलिआ,
ढूँढ़ ल्या जग सारे नूँ।
दिल लोचे तखत हज़ारे नूँ।
बुल्ला सहु दी प्रीत अनोखी,
तारे अउगुणहारे<ref>अवगुणी</ref> नूँ।
मैं क्यों कर जावाँ काअबे नूँ?
दिल लोचे तखत हज़ारे नूँ।
शब्दार्थ
<references/>