Last modified on 13 नवम्बर 2022, at 21:59

दिल से हर बैर को भुला रखिए / गुलशन मधुर

दिल से हर बैर को भुला रखिए
ख़ुद को कुछ यों धुला-धुला रखिए

धर्मो-मज़हब की सियासत से अलग
अपने जीने का सिलसिला रखिए

सोच की ताज़ा हवाओं के लिए
खिड़कियों को सदा खुला रखिए

आस की लौ कभी न बुझ पाए
एक नन्हा दिया जला रखिए

हो अगर दिल के बहुत पास कोई
उसको आंखों से मत जुदा रखिए

उनको मत भूलिए जो अपने हैं
दिल में यादों का सिलसिला रखिए

हो ही जाती हैं ग़लतियाँ सबसे
गए वक़्तों का मत गिला रखिए

दर्द की जगह नसीहत बांटें
ऐसे यारों से फ़ासला रखिए

वक़्त मुश्किल भी गुज़र जाता है
बस ज़रा दिल में हौसला रखिए