भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दिल है, नगमानिगार रहता है / मधुप मोहता
Kavita Kosh से
दिल है, नगमानिगार रहता है
हाँ, तेरा इंतज़ार रहता है
ज़िन्दगी है, चलो ज़रा जी लें
जुनूं, सर पर सवार रहता है
वक़्त पर तुम भी लौट आओगे
करार है, हाँ करार रहता है
बेसबब, बेसबर, तुम भी हो
मुझे ये ऐतबार रहता है
मिल के रो लेंगे, जानता हूँ मैं
तू क्यूँ ग़म में शुमार रहता है