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दिवाली के दीपक / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ
Kavita Kosh से
आओ घर में दीप जला दें
दिवाली की रात अंधेरी
जगमग जगमग ज्योति जगा दें
आओ बहना एक दीप तुम
तुलसी थाबे पर रख देना
आओ केशव एक दीप तुम
घर के द्वारे पर रख देना
एक दीप धीरे से जाकर
पूजा के मंदिर में रखना
एक दीप अपने सोने के
कमरे में भी जाकर रखना
माँ लो एक दीप तुम ले लो
इसे रसोई में रख देना
एक दीप भंडारे में रख
उसका द्वार खोल रख देना
कोई कोना छोड़ न देना
नहीं अँधेरा रहने देना
दीपावली की रात आ गई
जगमग जगमग ज्योति जलायें।