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दीद ए तर में नमी तेरे लिये / रंजना वर्मा
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दीद ए तर में नमी तेरे लिये
बढ़ रही दीवानगी तेरे लिये
हैं ज़माने से मिलीं जो न्यामतें
छोड़ दी सारी खुशी तेरे लिये
हम अँधेरों में रहे हैं उम्र भर
ग़र मिले कुछ रौशनी तेरे लिये
ले लिया काँटों भरा दामन मगर
राह फूलों की चुनी तेरे लिये
पतझड़ों के बीच हम सोया किये
खिल गयी हर इक कली तेरे लिये
होशमन्दों से भरी हो जीस्त पर
है हमारी बेखुदी तेरे लिये
आह पायी लब लरज कर रह गये
मुस्कराहट औ हँसी तेरे लिये