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दीन-हीन हम छेलाँ, निपट अनाथ छेलाँ / छोटेलाल दास

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दीन-हीन हम छेलाँ, निपट अनाथ छेलाँ।
होलै सतगुरुजी सहाय, हे सखिया मोरी॥1॥
कोइयो नैं पूछै छेलै, कोइयो नैं जानै छेलै।
छेलाँ छोट कुल अरु जात, हे सखिया मोरी॥2॥
अरूप बेडौल छेलाँ, बहुते बेढंग छेलाँ।
करै छेलाँ खोट-खोट काम, हे सखिया मोरी॥3॥
कपटी-कुटिल छेलाँ, बहुते अनाड़ी छेलाँ।
राखैं छेलाँ मलिन विचार, हे सखिया मोरी॥4॥
सतगुरुँ दाया कैलकै, शरण लगाइ लेलकै।
धन-धन गुरुजी हमार, हे सखिया मोरी॥5॥
माई-बाप गुरु छेलै, भाई-बंधु गुरु छेलै।
छेलै गुरु हित-मित मोर, हे सखिया मोरी॥6॥
गुरुजीं भलाई कैलकै, गुरुजीं पियार देलकै।
‘लाल दास’ रोबै करि याद, हे सखिया मोरी॥7॥