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दीपावली / महेन्द्र भटनागर
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		जगमग-जगमग करते दीपक 
		लगते कितने  मनहर  प्यारे,
		मानों आज  उतर  आये हैं 
		अम्बर से  धरती पर  तारे !
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		दीपों का त्योहार मनुज  के
 		अतंर-तम को  दूर करेगा,
		दीपों का त्योहार मनुज  के 
		नयनों में फिर स्नेह भरेगा!
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		धन आपस में बाँट-बूट कर 
		एक  नया   नाता  जोड़ेंगे,
		और उमंगों की फुलझड़ियाँ
		घर-घर में सुख से छोड़ेंगे !
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		दीपावलि का स्वागत करने
		आओ हम भी दीप जलाएँ,
		दीपावलि का स्वागत करने 
		आओ हम भी नाचे  गाएँ !
	
	