दीप जले जग के हर घर में / बाबा बैद्यनाथ झा
दीप जले जग के हर घर में,
जब खुशहाली आएगी
हे माँ काली उसी समय से
पूर्ण दिवाली आएगी
आज करोड़ों घर में बच्चे
भूखे प्यासे सोते हैं
दिनभर मिहनत करने वाले
सदा विकल हो रोते हैं
हैं लालायित नौनिहाल जब
रोजगार इक पाने को
जातिवाद की भीषण ज्वाला
तत्पर उन्हें जलाने को
हालत सुधरे जिसदिन माता
यह कंगाली जाएगी
नहीं एकता है अपने में
सब आपस में लड़ते हैं
तुच्छ स्वार्थ में अन्धे होकर
क्यों वेआज झगड़ते हैं
द्वेष घृणा से जकड़े सारे
सभ्य मचाते शोर यहाँ
सिसक रही है अब मानवता
दानवता का जोर यहाँ
रक्तहीन मुखड़े पर जिसदिन
रक्तिम लाली आएगी
त्रेता में रावण को मारा
पूर्ण विश्व में दीप जले
आज यहाँ अनगिन रावण हैं
मानवता के छाँव तले
आएँ हे प्रभु राम यहाँ फिर
दुष्टों का संहार करें
त्राहि-त्राहि सर्वत्र मची है
भक्तों का उद्धार करें
दैत्यों का वध करने काली
खप्परवाली आएगीS