दीया जइबइ पियार के / सिलसिला / रणजीत दुधु

सब नुकलकन के खोजवइ दीया बार के
दिल के भीतर दीया जरइवइ पियार के।

ढेरो दिन से जे बनल हकइ भीतर घाव
धीरे-धीरे करके मिटइवइ उ सोभाव
वइर ईर्ष्या मिटइवइ प्रेम से गार के
दिल के भीतर दीया जरइवइ पियार के।

विश्वास के तेल देवइ नेह के बाती
सब सुधर जइतइ जे जे हकइ कुराफाती
शांति-प्रेम से ही सुख मिलतै संसार के
दिल के भीतर दीया जरइवइ पियार के।

की नै हो सके हे जे आदमी ठान ले
पत्थर बने देवता मन से जो मान ले
मोड़ दे हके अदमी नदिया के धार के
दिल के भीतर दीया जरइवइ पियार के।
सब नुकलकन के खोजवइ दीया वार के।

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