भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दीये-सा जले (हाइकु) / रमा द्विवेदी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

    
१-दीये -सा जले

मेहनत जो करे

समृद्धि आए |


२-अंधेरी रात

अकेला है जलता

माटी का दीया |



३-रंगोली सजी

हर देहरी द्वार

दीपों के साथ


 

४-स्नेह का दीप

खुशियों से भरता

घर-आँगन |



५-जिस घर में

होता स्त्री का सम्मान

लक्ष्मी का वास |



६-लक्ष्मी की पूजा

करता दरिद्र भी

लक्ष्मी न आए |



७-अनार जले

सावधानी बरते

बच्चे न जले |



८-मंगलमय

सुख -समृद्धि -यश

लक्ष्मी के वश |



९-सब हो सुखी

सब होवें समृद्ध

झगड़ा ख़त्म |



१०-पटाखे जले

राकेट बम छोड़े

होड़ लगाएं |



११-घर-महल

उजास ही उजास

दीवाली - रात |