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दीरा के वसिंदा / त्रिलोकीनाथ दिवाकर
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हम्में दीरा के बसिंदा
नै तोंय करो शर्मिंदा
काम करै छी चुनिंदा
हमरो करो नै तों निंदा,
हम्में दीरा के बसिंदा।
खेतो में रहै हरियाली
झूमै गहूँमोॅ के बाली
ककड़ी फरै छै धतिंगा
वै पे नाचै छै फतिंगा,
हम्में दीरा के बसिंदा
उपजै यै माँटी में सोना
भरलो अन्नो से कोना-कोना
बगलो में बहै कोशी गंगा
नहाय के होय छै सब्भे चंगा,
हम्में दीरा के बसिंदा।
हम्में यै दीरा के लाल
ठोकी के बोलै छी ताल
काम नै छै हमरो गंदा,
हम्में छी दिलो के जिन्दा
हम्में दीरा के बसिंदा।